The riots in India since 1947





भारत में 1947 से जो दंगे हुए हैं उसका हिसाब किताब ना तो कभी किसी न्यायपालिका ने किया और ना ही बिकाऊ मीडिया ने. और तो और बेशर्मी कि बात है कि केंद्र में बैठे बीजेपी विपक्ष के नेताओ ने भी इसका जिक्र नहीं किया वरना कांग्रेसी सूअरों को बगले झांकनी पड़ती. 



अगर गुजरात दंगे के लिए मोदीजी जिम्मेदार हैं तो देश में 1947 से अभी तक हुए बाकि के दंगो के लिए कौन जिम्मेदार है? जबकि अधिकांश मौको पर राज करने वाली पार्टी कांग्रेस रही है. और इन्ही गुजरात दंगो के लिए "सोनिया गाँधी ने नरेन्द्र मोदी को "मौत का सौदागर" की संज्ञा दे दी. खैर सोनिया तो चालीस सेरे गंवार, अनपढ़ और बेवकूफ औरत है, उसे ना तो इस देश का भूगोल मालूम है और ना इतिहास. तकदीर के घोड़े पर बैठी है इसलिए पहलवान है वर्ना काबिलयत तो 1 धेले कि भी नहीं है, ना तो इसमें और ना ही इसके लल्लू बेटे में. खैर ये दोनों कितने मुर्ख हैं ये चर्चा का विषय नहीं है, ये तो जगजाहिर है. इसको शायद नहीं मालूम कि इसकी सास इंदिरा गाँधी, पति राजीव गाँधी और मुख्यमंत्रियो को क्या कहेंगी जिनके राज में गुजरात से भी बड़े दंगे हुए? और जिसका जिक्र कभी हलकों में भी नहीं हुआ. चलो मैं करती हूँ एक एक करके, इनकी पुष्टि आप अपने स्तर पर कर सकते हैं.

1950 से 1964 तक जब तक नेहरु मरा, उस समय तक में देश के 16 राज्यों में 243 दंगे हुए और इस शासन के लिए नेहरु को "भारत रत्न" मिला|
इंदिरा गाँधी के कार्यकाल में भारत के 15 राज्यों में 337 दंगे हुए और इस शासन के लिए इंदिरा गाँधी को "भारत रत्न" मिला| भारत के नागरिको की सुरक्षा को देखा जाये तो इंदिरा सबसे कमजोर शासक रहीं|
राजीव गाँधी के कार्यकाल में भारत के 16 राज्यों में 291 दंगे हुए [क्यूंकि ये नाकाबिल आदमी सिर्फ 1 टर्म प्रधानमंत्री रहा] और इसको भी मिला "भारत रत्न"|

1950 से 1995 के बीच में 1194 दंगे हुए| इन दंगो में से 871 दंगे [लगभग 73%] केवल इन ३ भारतरत्न धारियों [नेहरु, इंदिरा और राजीव] के कार्यकाल में हुए,



गुजरात दंगो के नाम पर, बिकाऊ मीडिया और कांग्रेसी सूअर ऐसे विधवा विलाप करते हैं और भूल जाते हैं कि मौत के असली सौदागर तो ये तीनो भारत रत्न धारी हैं. कांग्रेसी सूअरों ने भारत रत्न कि परिभाषा ही बदल दी. इससे तो ऐसा लगता है कि, सबसे बेगैरत, नींच और घटिया लोगो को ही ये पुरुस्कार मिलता है.

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